कविता का सारांश

इस कविता के रचयिता सुधीर जी हैं। ‘छुक-छुक गाड़ी’ नामक इस कविता में सुधीर जी एक ऐसी रेल के बारे में बता रहे हैं, जो स्टेशन से खुल चुकी है। वे लोगों को सावधान करते हुए कहते हैं कि सामने से हट जाओ, क्योंकि मेरी रेल खुल चुकी है और यदि टक्कर हो गई तो मेरी ज़िम्मेदारी नहीं होगी। रेल धक-धक, छू-छु, भक-भक, चू-चू, धक-धक, धू-धू करती आ चुकी है। कवि कहते हैं कि रेल का इंजन भारी-भरकम है तथा धम-धम, गम-गम करता आगे बढ़ता जाता है। गाड़ी ने सीटी दे दी है तथा टीटी टिकट देखता फिर रहा है कवि कहते हैं कि मेरी रेल पेलम पेल करती हुई छूट चुकी है।

काव्यांशों की व्याख्या

  1. छूटी मेरी रेल,
    रे बाबू, छूटी मेरी रेल।
    हट जाओ, हट जाओ भैया!
    मैं न जानें, फिर कुछ भैया!
    टकरा जाए रेल।

धक-धक, धक-धक, धू-धू, धू-धू!
भक-भक, भक-भक, भू-भू, भू-भू!
छक-छक, छक-छक, छू-छु, छू-छु!
करती आई रेल।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘छुक-छुक गाड़ी से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सुधीर हैं। इसमें कवि ने अपनी अनोखी रेलगाड़ी का वर्णन किया है।

व्याख्या : उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि मेरी रेल छूट चुकी अर्थात चल पड़ी है। वह लोगों से कहता है कि वे उसकी रेल के सामने न आएँ, वरना यदि टक्कर हो गई तो उसकी ज़िम्मेदारी नहीं होगी। कवि की रेल धक-धक, धू-धू, भक-भक, भू-भू, छक-छक, छू-छू करती आ गई है।

  1. इंजन इसका भारी-भरकम।
    बढ़ता जाता गमगम गमगम।
    धमधम, धमधम, धमधम, धमधम।
    करता ठेलम ठेल।
    सुनो गार्ड ने दे दी सीटी।
    टिकट देखता फिरता टीटी।
    सटी हुई वीटो से वीटी।
    करती पलम पेल।
    छूटी मेरी रेल।

शब्दार्थ : ठेलम ठेल-धक्कम-धक्का। पेलम पेल-ढकेलना।

प्रसंग : पूर्ववते।

व्याख्या : रेल का इंजन काफी भारी-भरकम है। यह धमधम-गमगम करता आगे बढ़ता जाता है। कवि की रेल को गार्ड ने सीटी दे दी है और टीटी टिकट देखता फिर रहा है। एक दूसरे डिब्बे को धकेलती हुई रेल आगे बढ़ रही है।

प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)

इतने सारे रंग

प्रश्न 1.
पिछले पन्नों में इन रंगों को ढूंढ़ो। इन रंगों वाली चीज़ों के चित्र बनाओ।


उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

नाम बताओ

पूरा करो

छूटी मेरी रेल, रे बाबू छूटी मेरी रेल।
सुनो गार्ड ने दे दी ‘सीटी।

प्रश्न 2.
हर डिब्बे पर उसके रंग वाली किसी चीज़ का नाम लिखो।


उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

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